मध्यान्ह समय में 19 को गणेश स्थापना
अकोला-: ईसवी सन 1893 मे महान क्रांतिकारी देशभक्त गीता के दार्शनिक रचयिता बाल गंगाधर लोकमान्य तिलक द्वारा पुणे में गणेश चतुर्थी पर पार्थिव मूर्ति की स्थापना की प्रथा की शुरुआत की गई, एक मान्यता यह भी है शिवाजी महाराज की माता श्री जीजामाता ने इस उत्सव की शुरुआत की थी. महाराष्ट्र का यह सर्वाधिक लोक पूजित आध्यात्मिक उत्सव कहा जाता है, शास्त्र कि यदि मानी जाए तो गणेश चतुर्थी विनायक चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी के अनेक भेद है प्रत्येक चतुर्थी चंद्रोदय, या सूर्योदय से तय नहीं की जाती जैसे भाद्रपद महीने में गणेश चतुर्थी का महत्व मध्यान्ह समय में अत्यधिक है. इसी आधार पर अकोला पौरोहित्य संघ की सभा श्री भोलेश्वर मंदिर में ली गई, महाराष्ट्रीयन पंचांग निर्णय सिंधु का प्रयोग सूक्ष्म रूप से किया गया इसी आधार पर चतुर्थी की शुरुआत सोमवार 18 तारीख को दोपहर 12:38 से प्रारंभ होकर 19 सितंबर को दोपहर 1:42 को चतुर्थी समाप्त हो रही है. सुबह 9:00 से 12:00 का समय शास्त्रों में मध्यान्ह या दोपहर का समय बताया गया है एक दूसरे गणित के आधार पर 2 घंटे 24 मिनट का मध्यान्ह समय बताया गया है 19 सितंबर को सुबह 9:00 से 12:00 का समय भी अच्छा है और दूसरे गणित के आधार पर सुबह 11:00 से 1:24 यह भी मध्यान में समय में गणेश स्थापना सर्वोत्तम है लोक प्रथाएं अनेक है इसके अलावा भी अन्य मुहूर्त में गणेश स्थापना की जा सकती है. भद्रा काल राहु का गणेश स्थापना पर कोई अंतर नहीं पड़ता. सभा में सर्वश्री नरेंद्र पंचारिया, रतन तिवारी ,सुमित तिवारी, ज्योतिष गणितज्ञ रजनीकांत जाड़ा, प्रमोद तिवारी, श्याम अवस्थी, रमेश आडीचवाल, ज्योतिषाचार्य आलोक शर्मा एवं पंडित रवि कुमार शर्मा उपस्थित थे.
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