पंधरवाळा, भाजपा के प्रत्येक कार्यकर्ता की धड़कन ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर विशेष
चंदन गोस्वामी
प्रवक्ता -पैनलिस्ट भाजपा महाराष्ट्र प्रदेश
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भाजपा के हर एक कार्यकर्ता के दिल और दिमाग में छाए हुए है पंडित जी एकात्म मानवता का संदेश भाजपा के कार्यकर्ता के रग रग में दौड़ रहा है समाज के अंतिम व्यक्ति को सरकारी और सामाजिक योजनाओं का लाभ मिले इसके लिए भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता घर घर जाकर योजनाओं का प्रचार करता है जिससे पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा किए गए संकल्प को पूरा करने की भरपूर कोशिश से भाजपा के कार्यकर्ता को सफलता अर्जित होती है!प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना काल के दौरान देशवासी को मुफ्त राशन योजना से अनाज के लिए जरूरतमंद समाज के अंतिम व्यक्ति को भुखमरी का शिकार नही होना पढ़ा! पंडितजी समाज सेवक,कट्टर स्वयसेवक,पत्रकार,लेखक, संगठन के कुशल जानकार,शिक्षा के महान विद्वान (विदवान) चिंतक,कुशल राजनीतिज्ञ थे!
पंडितजी का जन्म 25सितंबर को राजस्थान में जयपुर के पास छोटे से कस्बे धकनिया में उनके नानाजी के घर में हुआ था !उनकी माताजी का नाम रामप्यारी और पिता भगवती प्रसाद नाम था!1937में BA की पढ़ाई करते हुए ही पंडित जी ने संघ के संस्थापक डा हेडगेवार जी के साथ कानपुर में ही मुलाकात हुई जिसके बाद दो वर्ष का संघ का कोर्स करने के बाद जीवनव्रती प्रचारक बन कर जीवन भर प्रचारक का दायित्व निभाया ! डा श्यामाप्रसाद मुखर्जी द्वारा 21अक्टूबर 1951को जनसंघ की स्थापना होते ही संघ के माध्यम से पंडित जी का राजनीति में प्रवेश हुआ !1952 में भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संगठन ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के कंधो सौंपी!
राजनीति के अलावा उनकी गहरी रुचि साहित्य में भी थी। 1940 में जब मुस्लिम लीग द्वारा 'पाकिस्तान प्रस्ताव' लाहौर में पारित किया गया तथा द्वितीय विश्वयुद्ध जो 1 सितंबर 1939 को जर्मनी के द्वारा पोलैंड पर आक्रमण से शुरू हुआ था इस युद्ध में ब्रिटेन की हालत अत्यंत कमजोर होने पर ब्रिटेन ने भारतीयों का सहयोग पाने के लिए 8 अगस्त 1940 को वायसराय लिनलिथगो ने 'अगस्त प्रस्ताव' की घोषणा की जिसमें भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस मुख्य लक्ष्य था। उस समय 1940 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने लखनऊ से 'राष्ट्रधर्म' नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू कर पूरे देश में राष्ट्र के कर्तव्य, राष्ट्र के लक्ष्यों के प्रति लोगों को जागरूक किया।पंडितजी ने भारतीय संस्कृति,आर्थिक रचना,भारतीय चिंतन परंपरा में विशेष स्थान दिलाने के अलावा अनेक पुस्तको का लेखन कर प्रकाशित किया जिससे समाज के प्रत्येक अंग को इसका लाभ प्राप्त हुआ !
पंडित दिन दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु कांग्रेस के शासन काल के दौरान 11फरवरी 1968 को उत्तरप्रदेश के मुगलसराय स्टेशन के पास संदिग्ध अवस्था उनका शव मिला!जो अनेक सवालों और शक के दायरे से आजतक जकड़ा हुआ है!केंद्र की वर्तमान सत्कार उसी मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन किया है! पंडितजी की छाप हमारे आने वाली युवा पीढ़ी को समय समय पर देते रहना हमारा कर्तव्य है
चंदन गोस्वामी
महाराष्ट्र MAIL मुख्य संपादक प्रा.पी.एस.थोरात मो.9822674487
0 टिप्पण्या