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श्रीमती लतादेवी पालडीवाल का मरणोत्तर देहदान

श्रीमती लतादेवी पालडीवाल का मरणोत्तर देहदान 


अकोला--" मरावे परी कीर्ति रुपी उरावे' यह उक्ति समान मरणोपरांत समाज में अपना नाम करनेवाले व्यक्ति समाज में विरले होते हैं. इन्हीं पंक्ति में स्थानिय महाजनी प्लाट निवासी त्र्याहत्तर वर्षीय श्रीमती
 लतादेवी नंदकिशोर पालडीवाल आती है. श्रीमती लता देवी पालडीवाल ने मरणोत्तर देहदान कर महिला समाज के सामने एक समर्पित मिसाल खड़ी की है. श्रीमती लतादेवी पार्डीवाल का देहांत दि.26 जुलै को हुआ. इस समाजसेवी महिला ने सन 2010 में ही अपने मरणोत्तर देहदान का संकल्प कर इस संदर्भ में इच्छा पत्र लिखा.एवं परिवार को अपने मृत्यू पश्चात कोई भी आडंबर न करते अत्यंत सादगी से अंतिम संस्कार करने  की मंशा जाहीर की थी.उनके देहांत के पश्चात उनकी यह इच्छा उनके दोनों सुपुत्रो में पूर्ण कर शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय में उनका देह अर्पण किया. यह प्रक्रिया उनके भतीजे डॉ.आशुतोष पालडीवाल ने बखुबी की.अकोट का मायका रहनेवाली श्रीमती लता देवी पालडीवाल वस्तुत विज्ञानवादी विचारोंवाली समाजसेवी थी.माता के आज्ञानुसार दोनों सुपुत्र ने अत्यंत सादगी से उनकी अंत्येष्टि पूर्ण कर अपनी मां को सच्ची श्रद्धांजली इस माध्यम से दी हैं.अपने पती के जाने के पश्चात उन्होने घर परिवार का सुयोग्य संचालन कर पती की कमी परिवार को महसुस न होने दी.एवं  परिवार की जिम्मेदारी संभाल कर परिवार को एक नई दिशा देने का कार्य किया है.संयुक्त परिवार की इस पुरस्कर्ता को अपने देहदान का इच्छा पत्र देते समय प्रशासन ने सन्मान दशक प्रमाणपत्र प्रदान कर उनका गौरव किया था.श्रीमती लतादेवी पालडीवाल के अचानक जाने से समाज मे  दुःख व्यक्त किया जा रहा है.


अकोला डेली मेल मुख्य संपादक प्रा.पी.एस.थोरात मो.9822674487


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